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भारत में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति के बावजूद हर व्यक्ति अकेला, चैटबॉट और डेटिंग एप्स का इस्तेमाल बढ़ा

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रायपुर। जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। साल 2024 में यूएन वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्टस रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी 145 करोड़ से ज़्यादा होने का अनुमान है। वहीं महाकुंभ में जो भीड़ इस साल उमड़ी थी, उसने भी लोगों को हैरान कर दिया था। 

महाकुंभ की भीड़ ने किया था हैरान

ट्रेन, बसें, सड़कें सब खचाखच थीं। महाकुंभ में कुल 45 दिन में 66 करोड़ से ज्यादा लोग पहुंचे, भारत, चीन को छोड़ दें, तो किसी देश की आबादी भी इतनी नहीं है। मगर इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये था कि इतनी आबादी के बाद भी लोग इतने अकेले क्यों हैं। सोचने वाली बात है और ये एक गंभीर मसला है, जिसे अगर आज नजरअंदाज किया गया, तो समाज और परिवार का तानाबाना और अधिक कमजोर हो जाएगा। इतनी आबादी के बावजूद हर व्यक्ति अकेला। किसी के पास किसी के लिए समय नहीं। 

इंटरनेट के इस्तेमाल में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश

चीन के बाद इंटरनेट के इस्तेमाल में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत में इंटरनेट यूजर बेस2025 में 900 मिलियन को पार कर जाएगा। यहां के लोग साढ़े 4 से 5 घंटे हर दिन मोबाइल पर बिताते हैं।

सबसे ज्यादा AI का इस्तेमाल भारत में

पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा AI का इस्तेमाल भारत में किया जा रहा है, जो वैश्विक औसत का दोगुना है। इसका खुलासा माइक्रोसॉफ्ट की 'ग्लोबल ऑनलाइन सेफ्टी सर्वे की रिपोर्ट' में हुआ है। स्मॉलकेस के मुताबिक, साल 2023 में भारत में डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 82.4 करोड़ थी। यह संख्या पिछले पांच सालों में 293% बढ़ी है।

धड़ल्ले से डेटिंग एप का इस्तेमाल



इतनी आबादी के बावजूद दोस्ती के लिए भी लोग डेटिंग एप का सहारा ले रहे हैं और प्यार ढूंढने के लिए भी। अगर प्यार की बात न करें, तो टाइम पास के लिए ही सही। यानि टाइम पास के लिए भी लोगों के पास 2-4 लोग अपने आसपास अपने सर्कल में नहीं हैं, जहां भले ही फालतू की ही बात हो, लेकिन लोग बातें करके अपना मन हल्का कर सकें। हर समय महत्वपूर्ण बातें करना जरूरी नहीं, जरूरी है हमारी जिंदगी में ऐसे लोगों का होना जिनसे हम हर तरह की बात चाहे वो दुनिया की नजर में यूजलेस हो, उसे खुलकर कर सकें, अपना मन खोलकर किसी के सामने रख सकें। हर समय अच्छा और बुद्धिमान दिखना जरूरी नहीं, फेक जिंदगी जीते-जीते और अपनी छवि हर वक्त बढ़िया रखने की जद्दोजहद में लोग खोखले हो जाते हैं।

एक-दूसरे को समय देना जरूरी



एक-दूसरे को समय देना जरूरी है। मोहल्ले-समाज में उठना-बैठना जरूरी है, परिवार के साथ समय बिताना जरूरी है, जैसा कि पहले के जमाने में होता था, नहीं तो अकेलापन ऐसे ही इंसान को एक दिन मार देगा। ईश्वर ने इंसान को सामाजिक प्राणी बनाया है, प्यार करने के लिए बनाया है, प्यार पाने के लिए बनाया है। फर्जी छवियों से बाहर निकलना जरूरी है। सोशल मीडिया की आभासी दुनिया लोगों की जान ले लेगी। देखिए ये लिखने के लिए भी मुझे सोशल मीडिया का ही सहारा लेना पड़ा, क्योंकि सब इसी में व्यस्त हैं, वही जो मैंने पहले लिखा था न कि किसी के लिए किसी के पास टाइम नहीं। या फिर टाइम होने पर भी लोग व्यस्त होने का दिखावा करते हैं, ताकि लोग उसे हल्का न समझ लें, क्या करें जमाना बदल गया है। क्योंकि अगर इतने ही व्यस्त होते लोग, फिर मोबाइल पर साढ़े 4 घंटे-5 घंटे कैसे बिता लेते। अब लोगों को लोगों से ही डर लगने लगा है कि अगर कोई ज्यादा जान गया तो फिर हमारी कमजोरियों का फायदा उठाएगा।
बस अब यही होगा लोग चैटबॉट से ही बात करके दिल बहलाएंगे और जापान की तरह टाइम पास के लिए इंसान के आकार की गुड़िया, गुड्डा या रोबोट ले आएंगे और साइकियाट्रिस्ट और अन्य डॉक्टरों की बल्ले-बल्ले कराएंगे, क्राइम रेट में भी अव्वल आएंगे। सोचिएगा जरूर....



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